Petrol Diesel पर सियासत जारी, विपक्ष ने बीजेपी पर ‘चालबाजी’ के जरिये ‘भ्रम’ पैदा करने का लगाया आरोप

Politics on Petrol Diesel Prices: देश में पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी कम करने के ऐलान के बाद कांग्रेस लगातार केंद्र सरकार पर हमलावर है. रविवार को कांग्रेस ने बीजेपी पर ‘चालबाजी’ के जरिये ‘भ्रम’ पैदा करने का आरोप लगाया. कांग्रेस ने कहा कि लोग ‘रिकॉर्ड महंगाई’ से वास्तविक राहत पाने के हकदार हैं.’

कांग्रेस के पूर्व प्रमुख राहुल गांधी ने एक ट्वीट के जरिये 1 मई 2020 और आज के पेट्रोल के दामों की तुलना की. उन्होंने कहा कि ‘सरकार को लोगों को मूर्ख बनाना बंद कर देना चाहिए. पेट्रोल की कीमतें 1 मई 2020 को 69.50 रुपये, 1 मार्च 2022 को 95.40 रुपये, 1 मई 2022 को 105.40 रुपये थी. अब 22 मई 2022 को 96.70 रुपये प्रति लीटर है. पेट्रोल के दाम में फिर से रोजाना क्रमश: 80 पैसे और 30 पैसे बढ़ोतरी होने की उम्मीद है.’

वहीं अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने मोदी सरकार पर ‘राजनीतिक नौटंकी में आगे’ और राहत देने में पीछे रहने का आरोप लगाया. वल्लभ ने आरोप लगाया, ‘अर्थव्यवस्था और वित्तीय प्रबंधन के बारे में भाजपा सरकार की अनभिज्ञता लंबे समय से जगजाहिर है. इसे स्वीकार करने और विशेषज्ञों से मार्गदर्शन लेने के बजाय, भाजपा चालबाजी के जरिये भ्रम पैदा करने की कोशिश करती है.’

‘सरकार का मकसद लोगों में भ्रम पैदा करना’
कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने कहा कि इसी तरह वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सिलसिलेवार ट्वीट करते हुए कई कदमों की घोषणा की, जिनका मकसद भ्रम पैदा करना है. उन्होंने आंकड़ों का हवाला देते हुए तर्क दिया, ‘वित्त मंत्री ने पेट्रोल पर 8 रुपये प्रति लीटर और केंद्रीय उत्पाद शुल्क में 6 रुपये प्रति लीटर की कमी की घोषणा की. हालांकि यह एक महत्वपूर्ण कमी लग सकती है, लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा. साल 2014 में उत्पाद शुल्क 9.48 रुपये था और 2022 में यह 19.9 रुपये हो गया.’

वल्लभ ने कहा, “तीन कदम आगे बढ़कर दो कदम पीछे लौटने का मतलब यह नहीं होता कि इससे आम आदमी के जीवन में कोई फर्क पड़ा है. अप्रैल 2014 में डीजल पर प्रति लीटर उत्पाद शुल्क 3.56 रुपये था जबकि मई 2022 में यह 15.8 रुपये है. कीमतें मार्च 2022 के समय पर लौट आई हैं. क्या आम लोग मार्च 2022 में तेल की कीमतों से खुश थे? जवाब है नहीं. पेट्रोल की कीमतों में पिछले 60 दिनों में 10 रुपये प्रति लीटर रुपये की बढ़ोतरी होती है और फिर 9.5 रुपये प्रति लीटर की कटौती की जाती है. क्या यह चालबाजी नहीं है?”

उन्होंने कहा कि डीजल के दामों में पिछले 60 दिनों में 10 रुपये प्रति लीटर का इजाफा होता है और फिर सात रुपये प्रति लीटर की कमी की जाती है. यह कैसा कल्याण है? मई-2014 और मई-2022 के बीच रसोई गैस की कीमतों में 142 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. उन्होंने आरोप लगाया, ‘पिछले 18 महीनों में एलपीजी की कीमतों में 400 रुपये से अधिक की वृद्धि हुई है. 200 रुपये की कटौती का मतलब लोगों का कल्याण नहीं है, बल्कि कम मात्रा में खून चूसना है.’

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